कितना अच्छा होता तुम भी अगर ,मेरी तरह मुझसे प्यार करती, कितना अच्छा होता तुम भी अगर ,मेरी तरह मुझसे प्यार करती,
इंतज़ार और आस इंतज़ार और आस
कितना अच्छा होता न तब कितना अच्छा होता न तब
अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे। अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे।
इक-दूजे को प्रेम दीजिए, कि धर्म की परिभाषा सिर्फ प्रेम है। इक-दूजे को प्रेम दीजिए, कि धर्म की परिभाषा सिर्फ प्रेम है।
मैं तुम्हारे ख़्यालों में गुंथकर, गुलकंद बन जाऊं... मैं तुम्हारे ख़्यालों में गुंथकर, गुलकंद बन जाऊं...